वो कोशिश तो कर रहा है...इस समाज से,अपने परिस्थितियों से लड़ने की कोशिश...कठिनाईयो को झुठलाते हुए आगे बढ़ने कुछ करने की कोशिश| जो चाहत उसमे है बड़ी मुस्किल से होती है| शराबी बाप सब पी गया...माँ भी अकेला छोड़ दुनिया से चली गयी...और वो है की हार मानने को तैयार ही नहीं| शराब के लिए पैसे कम पड़ गए तो स्कूल छोड़ना पड़ा,बाप ने कहा पैसे ला के दे और मजदूरी करने भेज दिया...लकिन उसका दिल तो कही और ही लगा है| वापस आया अपने घर और कुछ बच्चो को पढाना शुरू किया... लकिन इतनी कमाई काफी नहीं ...मरता क्या न करता..मजदूरी भी करता है| सो एक दिन मेरे यहाँ भी आ गया मजदूर बनकर...मेरे पिताजी शिक्षक है और मिलनसार भी..स्वाभाविक है उन्होंने पूछ लिया कितना पढ़े हो भाई? पता चला पिताजी के स्कूल से ही उसने नवीं कक्षा तक पढ़ा है| मज़बूरी क्या नही करवाती है..लेकिन वो फिर से पढना चाहता है,अच्छा आदमी बनना चाहता है पिताजी की भी कोशिश है कि वो फिर से अपनी पढाई अच्छे से पूरी कर सके|
वो कोई भी है लकिन अब जब मै उसे देखती हूँ लगता है मुझे तो सब कुछ मिला है,फिर भी मेरी सारी मेहनत उसके सामने फीकी है ...
वो कोई भी है लकिन अब जब मै उसे देखती हूँ लगता है मुझे तो सब कुछ मिला है,फिर भी मेरी सारी मेहनत उसके सामने फीकी है ...
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